वो इस ज़मीन की नही लगती है मुझे,
वो आसमानो में भी उड़ती नही दिखती है मुझे,
शायद परीस्तान से आई है,
तभी तो परी सी लगती है मुझे |
कभी कभी हस्ते हस्ते चेहरे पर हाथ रख लेती है वो,
फिर आँखें मीच कर खुद को हम से छुपा लेती है वो,
कभी कभी हस्ते हस्ते सिर झुका लेती है,
फिर अपने घुँगराले बालो से चेहरा छुपा लेती है वो|
मेरे घर आते ही दौड़ कर लिपट जाती है मुझसे,
फिर मेरे गालो पर अपने प्यार की मोहर लगा देती है वो,
बहुत ही सूना सूना आँगन था मेरा,
अब उसमें हर पल पायल झंकाती है वो |
कभी मेरी चूड़ी पहनती है,कभी बिंदी लगती है,
कभी कभी मेरे दुपट्टे की सारी पहन मटकती फिरती है वो,
कभी अपनी आँखों को घुमाती है वो,
कभी मुझसे मूँह फेर कर इतराती है वो|
मैं रोती हूँ तो वो भी रो पड़ती है,
फिर अपने खिलौने देकर मुझे हँसाती है वो,
हर वक़्त मुझे ढूँढती है,
हर पल मुझ पर अपना प्यार बरसाती है वो |
वो पीढ़ा जो उसके लिए सही थी मैने,
वो समय जब उसको अपनी कोख मैं रखा था मैने,
अब मेरे हर दर्द पर मरहम करती है वो,
इस दुनिया को मेरे लिए और बेहतर करती है वो |
मेरी लाडली, मेरी चाँदनी,
इस ज़मीन की तो नही लगती है मुझे,
शायद परीस्तान से आई है,
तभी तो परी सी लगती है मुझे |
मैं उसको जहाँ भर की खुशियाँ दूँगी,
कभी तारे, तो कभी चाँद दूँगी,
सबसे पहले उसको आज़ादी दूँगी,
उड़ने के लिए सारा आसमान, चलने के लिए सारी ज़मीन दूँगी,
दूर आसमानो तक उड़ सके ऐसे पंख दूँगी,
डर नही गलत से लड़ने की हिम्मत दूँगी |
खूबसूरत सा दिल मासूम सी खुशी,
स्वाभिमानी, स्वावलंबी,
मेरा अभिमान,मेरी मानिनी,
इस ज़मीन की तो नही लगती है मुझे,
शायद परीस्तान से आई है,
तभी तो परी सी लगती है मुझे |
Amazing! No words… Missing Pankhu???
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Beautiful…..:)
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Thanks Sunaina , You back in US ?
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This poem made me so emotional, especially the last paragraph.
“सबसे पहले उसको आज़ादी दूँगी,
उड़ने के लिए सारा आसमान, चलने के लिए सारी ज़मीन दूँगी” ~ A beautiful poem signifying the mother-daughter relationship 🙂
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Thanks a lot Purba, This is what mothers need to do in today’s world
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Great Post
My First Vlog
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